Tag: Balkrishna Sharma Naveen
पिंजर-मुक्ति-युक्ति
'राधा कृष्ण' न बोले,
और, न 'सीता राम' कहा उन ने
चुग्गा खाकर शुक जी-
'ठेऊँ-टेंऊँ-टिंयाँ' लगे करने।
कई युगों से बैठे
बन्दी कीर पींजरे में अपने
खाते हैं, पीते...
विप्लव गायन
कवि, कुछ ऐसी तान सुनाओ जिससे उथल-पुथल मच जाये,
एक हिलोर इधर से आये, एक हिलोर उधर से आये,
प्राणों के लाले पड़ जायें, त्राहि-त्राहि स्वर नभ...
मन मीन
मछली, मछली, कितना पानी? ज़रा बता दो आज,
देखूँ, कितने गहरे में है मेरा जीर्ण जहाज़।
मन की मछली, डुबकी खाकर कह दो कितना जल है,
कितने...
अरे तुम हो काल के भी काल
कौन कहता है कि तुमको खा सकेगा काल?
अरे तुम हो काल के भी काल अति विकराल
काल का तब धनुष, दिक् की है धनुष की डोर
धनु-विकंपन...