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सोना-जागना
"मेरी जवानी को बरबाद करके तू अब अपने-आप को सँवारती, इठलाती घूमती है। काश! मैंने पैदा होते ही तुझे मार दिया होता।"
अन्धेर नगरी
अनुवाद - बलराम अग्रवाल
राजमहल में एक रात भोज दिया गया।
एक आदमी वहाँ आया और राजा के आगे दण्डवत लेट गया। सब लोग उसे देखने...