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Kahlil Gibran

सोना-जागना

"मेरी जवानी को बरबाद करके तू अब अपने-आप को सँवारती, इठलाती घूमती है। काश! मैंने पैदा होते ही तुझे मार दिया होता।"
Kahlil Gibran

अन्धेर नगरी

अनुवाद - बलराम अग्रवाल राजमहल में एक रात भोज दिया गया। एक आदमी वहाँ आया और राजा के आगे दण्डवत लेट गया। सब लोग उसे देखने...
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