Tag: Bangla Poem

himshila - a poem by viplav majhi

हिमशिला

मैं चाहता हूँ इस धरती को तुम थोड़ा-थोड़ा कर ही सही समझना तो शुरू करो। तुम खुद अपनी आँखों से देखो किस तरह खण्डहर में तब्दील हो गये हैं इतिहास...
Joy Goswami

माँ और बेटी

'Maa Aur Beti', a poem by Joy Goswami एक रास्ता जाता है उनींदे गाँवों तक एक रास्ता घाट पार कराने वाली नाव तक एक रास्ता पंखधारी देह...
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