Tag: Basudev Agarwal ‘Naman’
इंदिरा छंद ‘पथिक’
इंदिरा छंद 'पथिक'
तमस की गयी ये विभावरी।
हृदय-सारिका आज बावरी॥
वह उड़ान उन्मुक्त है भरे।
खग प्रसुप्त जो गान वो करे॥
अरुणिमा रही छा सभी दिशा।
खिल उठा सवेरा,...
असबंधा छंद ‘हिंदी गौरव’
असबंधा छंद 'हिंदी गौरव'
भाषा हिंदी गौरव बड़पन की दाता।
देवी-भाषा संस्कृत मृदु इसकी माता॥
हिंदी प्यारी पावन शतदल वृन्दा सी।
साजे हिंदी विश्व पटल पर चन्दा सी॥
हिंदी...
मेघ जीवन
किरणों की मथनी से सूरज, मथता जब सागर जल को ।
नवनीत मेघ तब ऊपर आता, नवजीवन देने भूतल को ।
था कतरा कतरा सा पहले,...
ये बालक कैसा?
"जड़े तमाचा
मानवी सभ्यता पे
बालक दीन।"
पढ़िए बाल भिक्षावृत्ति (चाइल्ड बेगिंग) पर एक सशक्त कविता जिसका हर बंद एक हाइकु है, यानी अपने आप में एक सम्पूर्ण कविता!
शब्द (दोहा ग़ज़ल)
मान और अपमान दउ, देते आये शब्द।
अतः तौल के बोलिये, सब को भाये शब्द॥
सजा हस्ति उपहार में, कभी दिलाये शब्द।
उसी हस्ति के पाँव से,...
दिवाली पर यही व्रत धार लेंगे
दिवाली पर यही व्रत धार लेंगे,
भुला नफ़रत सभी को प्यार देंगे।
इनायत है जियादा उन पे रब की,
जो होते गूँगे, लँगड़े, बहरे, भेंगे।
रहें झूठी अना...
जगमगाते दियों से मही खिल उठी
जगमगाते दियों से मही खिल उठी,
शह्र हो गाँव हो हर गली खिल उठी।
लायी खुशियाँ ये दीपावली झोली भर,
आज चेह्रों पे सब के हँसी खिल...