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Agyeya

तुम हँसी हो

तुम हँसी हो—जो न मेरे होंठ पर दीखे, मुझे हर मोड़ पर मिलती रही है। धूप—मुझ पर जो न छायी हो, किंतु जिसकी ओर मेरे रुद्ध जीवन की कुटी...
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