Tag: Bhaskar Shukla

तुम्हारे शहर में

तुम्हारे शहर आया था मैं बरसों बाद फिर से, तुम्हारे हाँ तुम्हारे शहर बरसों बाद फिर से। उसे अपना भी कह सकता हूँ शायद गुज़ारा है वहाँ...
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