Tag: Bhuvaneshwar
बौछार पे बौछार
अनुवाद: शमशेर बहादुर सिंह
बौछार पे बौछार
सनसनाते हुए सीसे की बारिश का ऐसा जोश
गुलाबों के तख्ते के तख्ते बिछ गए कदमों में
कायदे से अपना रंग...
नदी के दोनों पाट
नदी के दोनों पाट लहरते हैं
आग की लपटों में
दो दिवालिए सूदखोरों का सीना
जैसे फुँक रहा हो
शाम हुई
कि रंग धूप तापने लगे
अपनी यादों की
और नींद...
खुल सीसामा!
अनुवाद: शमशेर बहादुर सिंह
खुल सीसामा!
और खुल गया
द्वार वह
जिसकी मुहरबंद शक्ति में
धन था
धन! अतिरिक्त और
हो भी क्या सकता भला
उस अली बाबा के लिए
कि जिसका धनी...
भेड़िये
"लोग कहते हैं, अकेला भेड़िया कायर होता है। यह झूठ है। भेड़िया कायर नहीं होता, अकेला भी वह सिर्फ चौकन्ना होता है। तुम कहते हो लोमड़ी चालाक होती है, तो तुम भेड़ियों को जानते ही नहीं।"
'भेड़िये' एक ऐसी कहानी है जिसे हिन्दी के साहित्यकारों ने एक लम्बे अरसे तक हिन्दी की मौलिक कहानी न मानकर, अंग्रेजी की किसी कहानी का अनुवाद माना! इस पूर्वाग्रह के पीछे एक कारण यह भी रहा कि भुवनेश्वर को अंग्रेजी साहित्य का अच्छा ज्ञान था! बाद में इसी कहानी को नयी कहानी की दिशा में पहली कहानी भी माना गया जिसने गाँव, कस्बों, शहरों और प्रेम के किस्सों से कहानी को बाहर निकाला.. घोर व्यक्तिवाद की निशानी यह कहानी लिखकर भुवनेश्वर हिन्दी साहित्य में हमेशा के लिए अमर हो गए... पढ़िए!
कहीं कभी
कहीं कभी सितारे अपने आपकी
आवाज पा लेते हैं और
आसपास उन्हें गुजरते छू लेते हैं...
कहीं कभी रात घुल जाती है
और मेरे जिगर के लाल-लाल
गहरे रंग...
आँखों की धुंध में
'Aankhon Ki Dhundh Mein', Hindi Kavita by Bhuvaneshwar
आँखों की धुँध में उड़ती-सी
अफ़वाह का एक अजब मज़ाक है
यह पिघलते हुए दिल और
नमाई हुई रोटी का
हीरा तो खान...
मौसी
'मौसी' - भुवेनश्वर
मानव-जीवन के विकास में एक स्थल ऐसा आता है, जब वह परिवर्तन पर भी विजय पा लेता है। जब हमारे जीवन का...
माँ-बेटे
'माँ-बेटे' - भुवनेश्वर
चारपाई को घेरकर बैठे हुए उन सब लोगों ने एक साथ एक गहरी साँस ली। वह सब थके-हारे हुए खामोश थे।...