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सत्यम तिवारी की कविताएँ
चिड़िया होना पहली शर्त होगी
उन सभी चीज़ों को
मेरे सामने से हटा दो
जिनमें मैं किसी और के जैसा दिखता हूँ
मैं किसी की तरह दिखना नहीं...
पता
मैंने उसे ख़त लिखा था
और अब पते की ज़रूरत थी
मैंने डायरियाँ खँगालीं
किताबों के पुराने कबाड़ में खोजा
फ़ोन पर कई हितैशियों से पूछा
और हारकर बैठ...
कुछ कह रही थी छोटी चिड़िया
सबेरे-सबेरे कुछ कह रही थी छोटी चिड़िया
गली सूनी थी
सूरज चढ़ा नहीं था
कोई स्तवन था
किसी देवता का
जो भरपूर देता हो अन्न और भोज्य
अपनी स्तुति से...
कौतुक-कथा
धूप चाहती थी, बारिश चाहती थी, चाहते थे ठेकेदार
कि यह बेशक़ीमती पेड़ सूख जाए
चोर, अपराधी, तस्कर, हत्यारे, मंत्री के रिश्तेदार
फ़िल्म ऐक्टर, पुरोहित, वे सब जो...
क़ैद परिंदे का बयान
तुमको अचरज है—मैं जीवित हूँ!
उनको अचरज है—मैं जीवित हूँ!
मुझको अचरज है—मैं जीवित हूँ!
लेकिन मैं इसीलिए जीवित नहीं हूँ—
मुझे मृत्यु से दुराव था,
यह जीवन जीने...
उसने मुझे पीला रंग सिखाया
उसने मुझे पीला रंग सिखाया
और मुझे दिखायी दिए जीवन के धूसर रंगों के बीचोबीच
रू ब रू दो दहकते हुए पीले सूर्यमुखी
एक से दूसरे के...
भाषा
पृथ्वी के अन्दर के सार में से
फूटकर निकलती हुई
एक भाषा है बीज के अँकुराने की।
तिनके बटोर-बटोरकर
टहनियों के बीच
घोंसला बुने जाने की भी एक भाषा है।
तुम्हारे...
कोयल
देखो कोयल काली है पर
मीठी है इसकी बोली,
इसने ही तो कूक-कूककर
आमों में मिश्री घोली।
कोयल! कोयल! सच बतलाना
क्या संदेसा लायी हो,
बहुत दिनों के बाद आज...
चिड़ियों को पता नहीं
चिड़ियों को पता नहीं कि वे
कितनी तेज़ी से प्रवेश कर रही हैं
कविताओं में।
इन अपने दिनों में खासकर
उन्हें चहचहाना था
उड़ानें भरनी थीं
और घंटों गरदन में...
खोया हुआ जंगल
खिड़की के बाहर जंगल था
खिड़की पर चिड़िया बैठी थी
मैंने यह पूछा चिड़िया से—
"चिड़िया-चिड़िया, कितना जंगल?"
चिड़िया ने तब आँख नचायी
चिड़िया ने तब पंख फुलाए
मेरी तरफ़...
कुल्हाड़ी
यहाँ लकड़ी कटती है लगातार
थोड़ा-थोड़ा आदमी भी कटता है
किसी की
उम्र कट जाती है
और पड़ी होती धूल में टुकड़े की तरह
शोर से भरी
इस गली में
कहने...
वह चिड़िया जो
वह चिड़िया जो—
चोंच मारकर
दूध-भरे जुण्डी के दाने
रुचि से, रस से खा लेती है
वह छोटी सन्तोषी चिड़िया
नीले पंखों वाली मैं हूँ
मुझे अन्न से बहुत प्यार है।
वह चिड़िया...