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प्रचलित हिन्दी की दुरूहता
"लगभग भारतवर्ष में बोली जानेवाली समस्त प्रधान भाषाओं का नमूना मैंने आपके सामने उपस्थित कर दिया, आप देखेंगे कि सभी भाषाओं में संस्कृत शब्दों का प्रयोग अधिकता से हो रहा है। जो तामिल, कनाड़ी और मलयालम् स्वतंत्र भाषाएँ हैं, अर्थात् आर्य भाषा से प्रसूत नहीं हैं, उनमें भी संस्कृत शब्दों की प्रचुरता है। उन भाषाओं को कोई स्पर्द्धा उर्दू से नहीं है, फिर वे क्यों संस्कृतगर्भित हैं?"
हिन्दुस्तानी भाषा की उत्पत्ति
"भाषा जिस पथ से चल पड़ती है, व्याकरण उसका साक्षीमात्र है।"
ठेठ हिन्दी और बोलचाल की भाषा
अब प्रश्न यह होगा कि क्या ठेठ हिन्दी बोलचाल की भाषा कही जा सकती है? मेरा विचार है, नहीं, कारण बतलाता हूँ, सुनिये। जिन प्रान्तों...
ठेठ हिन्दी
"प्रत्येक तत्सम शब्द उधार लिया हुआ है। यह उधार हिन्दी को अपनी दादी (संस्कृत) से लेना पड़ता है। यदि मैं अपने सम्बन्धियों तथा मित्रों से प्रायः ऋण लेने की आदत डालूँ तो मैं विनष्ट हो जाऊँगा।"
बोलचाल की भाषा
बोलचाल की भाषा के बारे में कुछ लिखना टेढ़ी खीर है। जितने मुँह उतनी बात सुनी जाती है। यदि यह बात सत्य न हो...