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काम, गंगाराम कुम्हार
काम
मेरे पास दो हाथ हैं—
दोनों काम के अभाव में
तन से चिपके निठल्ले लटके रहते हैं!
इस देश की स्त्रियों के पास इतने काम हैं—
भोर से...
औरों की तरह नहीं
अपने पिता की तरह कैसे कर सकता हूँ प्यार मैं?
अपने भाई की तरह कैसे?
कैसे कर सकता हूँ प्यार अपने पुत्र की तरह?
मित्र की तरह...
किताबें
किताबें झाँकती हैं बन्द अलमारी के शीशों से
बड़ी हसरत से तकती हैं
महीनों अब मुलाक़ातें नहीं होतीं
जो शामें उनकी सोहबत में कटा करती थीं, अब अक्सर
गुज़र...
लो गर्द और किताबें
सुलगते दिन हैं,
तवील तन्हाइयाँ मिरे साथ लेटे-लेटे
फ़ज़ा से आँखें लड़ा रही हैं
मिरे दरीचे के पास सुनसान रहगुज़र है
अभी-अभी एक रेला आया था गर्द का
जो...
धार्मिक किताबें
मैं एक अर्ज़ी लगाना चाहता हूँ,
किसी सरकारी दफ़्तर में
देना चाहता हूँ एक आवेदन,
धार्मिक किताबों को अलग रखा जाए
किताबों की श्रेणी से,
वे किताबें किताबें नहीं होतीं
जिनका...
किताबें
'Kitaabein', a poem by Ekta Nahar
मैं जब पढ़ना सीख रही थी
उस रंगबिरंगी किताब में
'ब्यूटीफुल' का विलोम लिखा था 'अगली'
और उसके साथ बना था
एक लड़की...
किताबें
शेल्फ की वो किताबें
आकर एक बार लेकर जाना
कुछ पुरानी यादें हैं उनमें
गुजरता हूँ
उनके पास से तो
ठहर जाता है दिन मेरा
तुम
आते वक्त मेरी हँसी ले आना
तुम्हारे...
किताबों वाली दोपहर
तपती गर्मी की एक शांत दोपहर,
एक पागल सी हवा गलियों से गुज़री
दरवाज़े पर आई मेरे,
ज़ोर से पीटा खिड़कियों के कांच को,
जैसे तलाश रही हो...
किताबें
किताबें करती हैं बातें
बीते ज़मानों की
दुनिया की, इंसानों की
आज की, कल की
एक-एक पल की।
ख़ुशियों की, ग़मों की
फूलों की, बमों की
जीत की, हार की
प्यार की,...
किताब पढ़कर रोना
रोया हूँ मैं भी किताब पढ़कर के
पर अब याद नहीं कौन-सी
शायद वह कोई वृत्तांत था
पात्र जिसके अनेक
बनते थे चारों तरफ से मंडराते हुए आते...
किताबें
कुछ किताबें पढ़कर
किसी को कुछ किताबें दी थीं
उनके कुछ ही पन्ने पलटे गये हैं
मैंने कुछ और अर्थ निकाले
उसने कुछ और;
जीवन में सब परस्पर नहीं...
सवालों की किताब
अनुवाद: पुनीत कुसुम
सवालों की किताब - I
सवालों की किताब - II
सवालों की किताब - III
सवालों की किताब - IV