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रामायण का एक सीन
"नशतर थे राम के लिए यह हर्फ़-आरज़ू
दिल हिल गया, सरकने लगा जिस्म से लहू
समझे जो माँ के दीन को ईमाने-आबरू
सुननी पड़े उसको यह ख़जालत की गुफ़्तगू।।
'रामायण का एक सीन' चकबस्त की एक लम्बी नज़्म है, जिसमें राम जी वनवास जाने से पहले जब अपनी माँ से मिलने जाते हैं तो उनके और उनकी माँ के बीच की बातचीत ब्यौरा है! चकबस्त अगर जीवित रहते तो शायद पूरी रामायण उर्दू में लिख देते। फिलहाल के लिए पढ़िए यह नज़्म, यह एक सीन!
ज़बाँ को बंद करें या मुझे असीर करें
ज़बाँ को बंद करें या मुझे असीर करें
मिरे ख़याल को बेड़ी पिन्हा नहीं सकते
ये कैसी बज़्म है और कैसे उस के साक़ी हैं
शराब हाथ...
हम सोचते हैं रात में तारों को देखकर
हम सोचते हैं रात में तारों को देखकर
शमएँ ज़मीन की हैं जो दाग़ आसमाँ के हैं
जन्नत में ख़ाक बादा-परस्तों का दिल लगे
नक़्शे नज़र में...