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Brij Narayan Chakbast

रामायण का एक सीन

"नशतर थे राम के लिए यह हर्फ़-आरज़ू दिल हिल गया, सरकने लगा जिस्म से लहू समझे जो माँ के दीन को ईमाने-आबरू सुननी पड़े उसको यह ख़जालत की गुफ़्तगू।। 'रामायण का एक सीन' चकबस्त की एक लम्बी नज़्म है, जिसमें राम जी वनवास जाने से पहले जब अपनी माँ से मिलने जाते हैं तो उनके और उनकी माँ के बीच की बातचीत ब्यौरा है! चकबस्त अगर जीवित रहते तो शायद पूरी रामायण उर्दू में लिख देते। फिलहाल के लिए पढ़िए यह नज़्म, यह एक सीन!
Brij Narayan Chakbast

ज़बाँ को बंद करें या मुझे असीर करें

ज़बाँ को बंद करें या मुझे असीर करें मिरे ख़याल को बेड़ी पिन्हा नहीं सकते ये कैसी बज़्म है और कैसे उस के साक़ी हैं शराब हाथ...
Brij Narayan Chakbast

हम सोचते हैं रात में तारों को देखकर

हम सोचते हैं रात में तारों को देखकर शमएँ ज़मीन की हैं जो दाग़ आसमाँ के हैं जन्नत में ख़ाक बादा-परस्तों का दिल लगे नक़्शे नज़र में...
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