Tag: Casteism

Pallavi Pratibha

एक को कहते सुना

एक को कहते सुना— हम तो हैं ब्राह्मण हमें है मालूम कहाँ, किधर, किस दिशा में हैं देखते भगवन हमारी ही है ठेकेदारी हमारे ही हैं देवता और हमारी ही देवनारी। एक...
Mohandas Naimishrai

मोहनदास नैमिशराय के साथ राजश्री सैकिया की बातचीत

वरिष्ठ लेखक मोहनदास नैमिशराय जी के साथ राजश्री सैकिया की बातचीत जिस दलित-बहुजन विचारधारा के बूते आज भारत का बौद्धिक समुदाय प्रतिगामी शक्तियों से लड़ने...
Abstract, Love, Couple

पुनरावर्तन

कहीं कोई पत्ता भी नहीं खड़केगा हर बार की तरह ऐसे ही सुलगते पलाश रक्त की चादर ओढ़े चीलों और गिद्धों को खींच ले आएँगे घेरकर मारे जाने...
Woman, Statue, Upset

विजेता और अपराधी, सुदर्शन पुरुष और स्त्रियाँ

विजेता और अपराधी नाम और जन्म के अपराधी थे, जन्म का परिचय बता गड़ा लेते नज़र ज़मीन पर, लज्जा, हीनता, हार, बेबसी और भाग्य के अभिशाप से। नाम और...
Evil, Bad, Hands

हम उस दौर में जी रहे हैं

हम उस दौर में जी रहे हैं जहाँ फेमिनिज्म शब्द ने एक गाली का रूप ले लिया है और धार्मिक उदघोष नारे बन चुके हैं जहाँ हत्या,...
Kanwal Bharti

तब तुम्हारी निष्ठा क्या होती?

यदि वेदों में लिखा होता ब्राह्मण ब्रह्मा के पैर से हुए हैं पैदा। उन्हें उपनयन का अधिकार नहीं। तब, तुम्हारी निष्ठा क्या होती? यदि धर्मसूत्रों में लिखा होता तुम...
Om Prakash Valmiki

यह अंत नहीं

"छेड़-छाड़ी हुई है... बलात्कार तो नहीं हुआ... तुम लोग बात का बतंगड़ बना रहे हो। गाँव में राजनीति फैलाकर शांति भंग करना चाहते हो। मैं अपने इलाके में गुंडागर्दी नहीं होने दूँगा... चलते बनो।"
Om Prakash Valmiki

विध्वंस बनकर खड़ी होगी नफ़रत

तुमने बना लिया जिस नफ़रत को अपना कवच विध्वंस बनकर खड़ी होगी रू-ब-रू एक दिन तब नहीं बचेंगी शेष आले में सहेजकर रखी बासी रोटियाँ पूजाघरों में अगरबत्तियाँ,...
Premchand

सद्गति

'सद्गति' का दुखिया चमार, 'गोदान' के होरी और 'ठाकुर का कुआँ' की गंगी की श्रेणी में खड़ा हुआ पात्र है जिसकी उपस्थिति हिन्दी साहित्य में अविस्मरणीय है! तमाम धार्मिक भेदभावों और जातिगत उपेक्षा सहता हुआ यह पात्र अपनी परिणति में पाठकों के मन पर ऐसी चोट करता है जिसे सहला पाना किसी भी तरह के विमर्श और सांत्वनाओं के बस की बात नहीं। पढ़िए प्रेमचंद की एक महान कृति 'सद्गति'!
Om Prakash Valmiki

बस्स! बहुत हो चुका

जब भी देखता हूँ मैं झाड़ू या गन्दगी से भरी बाल्टी कनस्तर किसी हाथ में मेरी रगों में दहकने लगते हैं यातनाओं के कई हज़ार वर्ष एक साथ जो फैले हैं...
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