Tag: Chess

Javed Akhtar

एक मोहरे का सफ़र

जब वो कम-उम्र ही था उसने ये जान लिया था कि अगर जीना है बड़ी चालाकी से जीना होगा आँख की आख़िरी हद तक है बिसात-ए-हस्ती और वो...
Gulzar

ख़ुदा

पूरे का पूरा आकाश घुमा कर बाज़ी देखी मैंने! काले घर में सूरज रख के तुमने शायद सोचा था मेरे सब मोहरे पिट जाएँगे मैंने एक चराग़...
Javed Akhtar

ये खेल क्या है

मिरे मुख़ालिफ़ ने चाल चल दी है और अब मेरी चाल के इंतिज़ार में है मगर मैं कब से सफ़ेद-ख़ानों सियाह-ख़ानों में रक्खे काले सफ़ेद मोहरों को देखता हूँ मैं सोचता...
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