Tag: Chess
एक मोहरे का सफ़र
जब वो कम-उम्र ही था
उसने ये जान लिया था कि अगर जीना है
बड़ी चालाकी से जीना होगा
आँख की आख़िरी हद तक है बिसात-ए-हस्ती
और वो...
ख़ुदा
पूरे का पूरा आकाश घुमा कर बाज़ी देखी मैंने!
काले घर में सूरज रख के
तुमने शायद सोचा था मेरे सब मोहरे पिट जाएँगे
मैंने एक चराग़...
ये खेल क्या है
मिरे मुख़ालिफ़ ने चाल चल दी है
और अब
मेरी चाल के इंतिज़ार में है
मगर मैं कब से
सफ़ेद-ख़ानों
सियाह-ख़ानों में रक्खे
काले सफ़ेद मोहरों को देखता हूँ
मैं सोचता...