Tag: Children’s Story

Vinod Kumar Shukla

हरे पत्ते के रंग की पतरंगी और कहीं खो गया नाम का लड़का

"माँ, एक बिल्ली का बच्चा कक्षा में घुस आया। भूरी बिल्ली थी। किसी लड़के ने बस्ते में लाया होगा। कॉपी-किताब निकालने के पहले बिल्ली का बच्चा खुद बाहर निकल आया होगा। मेरी किताब में चूहे-बिल्ली का पाठ है। कहीं मेरी किताब के पाठ से तो बिल्ली का बच्चा बाहर न निकल गया हो। अब पाठ में वापस कैसे जाएगा? सबकी किताब से एक-एक कर बिल्ली के बच्चे बाहर आ जाएँ तो कक्षा में बहुत से बिल्ली के बच्चे हो जाएँगे। एक जैसे पाठ की एक जैसी बिल्ली। मैं अपनी बिल्ली कैसे पहचानूँगा? मेरे किताब की मेरी बिल्ली मुझे पहचानती होगी। मेरी किताब को भी पहचानती होगी। पहले बस्ते के अन्दर बिल्ली जाएगी। बस्ते के अन्दर से किताब के अन्दर। किताब के अन्दर से पाठ के अन्दर।" "इस चिड़िया का उड़ते हुए बोलना अनोखा लगता है। यह उड़ते-उड़ते दुगनी थक जाती होगी, उड़ते हुए और बोलने से। इसलिए दुगनी सुस्ताती होगी, बैठकर और चुप रहकर।"
Girgit

गिरगिट का सपना

क्या आपके पास अपने नाती-पोतों को सुनाने वाली कहानियाँ ख़त्म हो चुकी हैं? या आप एक ही कहानी इतनी बार सुना चुके हैं कि वे वह कहानी आपसे आगे-आगे आपको ठीक करते सुनाते चलते हैं? अगर हाँ, तो लीजिए मोहन राकेश की एक कहानी, जो बच्चों को सुनाए जाने पर न केवल उन्हें रोमांचित करेगी बल्कि यह सीख भी देगी कि जो हमें प्राप्त है, वह किसी कारण से है और उससे संतुष्ट रहना मानवों के लिए एक धारणीय गुण है! :)
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