Tag: रंग
सुना है कभी तुमने रंगों को
कभी-कभी
उजाले का आभास
अंधेरे के इतने क़रीब होता है
कि दोनों को अलग-अलग
पहचान पाना मुश्किल हो जाता है।
धीरे-धीरे
जब उजाला
खेलने-खिलने लगता है
और अंधेरा उसकी जुम्बिश से
परदे की...
ये दुनिया दो-रंगी है
ये दुनिया दो-रंगी है
एक तरफ़ से रेशम ओढ़े, एक तरफ़ से नंगी है
एक तरफ़ अंधी दौलत की पागल ऐश-परस्ती
एक तरफ़ जिस्मों की क़ीमत रोटी...
एक काला रंग
एक काला रंग चुनो
उसमें जो
लाल हरी नीली ऊर्जा है
उसे बाहर लाओ
उसमें जो
लगातार दौड़ रहे हैं घोड़े,
स्त्री, पुरुष, बच्चे
हँस रहे हैं,
उनके संग झुण्ड बनाकर
नाचो
एक पत्थर...
अपना ये सहज रंग
मैंने कई बार सोचा है
ख़्वाहिशों की तरह पल-पल
बढ़ा जा सकता है
और बलों की तरह
उतनी ही आसानी से काटा भी
जा सकता है
जिसे मैं पहचानती हूँ
पहले...
उसने मुझे पीला रंग सिखाया
उसने मुझे पीला रंग सिखाया
और मुझे दिखायी दिए जीवन के धूसर रंगों के बीचोबीच
रू ब रू दो दहकते हुए पीले सूर्यमुखी
एक से दूसरे के...
सुन्दरता और त्वचा का रंग
"सौंदर्यशास्त्र राजनीति से प्रभावित होता है; शक्ति सुंदर दिखाई देती है विशेषकर गैरबराबर शक्ति।"
विजयी विश्व तिरंगा प्यारा
विजयी विश्व तिरंगा प्यारा,
झण्डा ऊँचा रहे हमारा।
सदा शक्ति बरसाने वाला
प्रेम सुधा सरसाने वाला
वीरों को हर्षाने वाला
मातृ-भूमि का तन-मन सारा
झण्डा ऊँचा रहे हमारा।
स्वतंत्रता के भीषण...
गुलों में रंग भरे, बाद-ए-नौ-बहार चले
गुलों में रंग भरे, बाद-ए-नौ-बहार चले
चले भी आओ कि गुलशन का कारोबार चले
क़फ़स उदास है यारो सबा से कुछ तो कहो
कहीं तो बहर-ए-ख़ुदा आज...
शंकरानंद की कविताएँ
'पदचाप के साथ' कविता संग्रह से
बल्ब
इतनी बड़ी दुनिया है कि
एक कोने में बल्ब जलता है
दूसरा कोना अन्धेरे में डूब जाता है,
एक हाथ अन्धेरे में हिलता है
दूसरा...
बचाकर रखे हैं कुछ रंग, चींटियों के पंख, पंखों की मज़बूती
बचाकर रखे हैं कुछ रंग
बचाकर रखा है
होठों का गुलाबी रंग
उन वैधव्यता वाले गालों के लिए
जिनके पति लिपटे हुए लौटते हैं तिरंगे में
बचाकर रखा है
बालों...
याद का रंग
'Yaad Ka Rang', a poem by Vijay Rahi
"दुष्टता छोड़ो! होली पर तो गाँव आ जाओ!"
फ़ोन पर कहा तुम्हारा एक वाक्य
मुझे शहर से गाँव खींच...
पिकासो के रंग पढ़ते हुए
'Picasso Ke Rang Padhte Hue', a poem by Upma Richa
मेरे हाथों में बहती है एक नदी
जाल डाले
मैं पकड़ता रहता हूँ
-दुःख, यातना में डूबा हुआ...