Tag: रंग

Light Bulbs, Colors

सुना है कभी तुमने रंगों को

कभी-कभी उजाले का आभास अंधेरे के इतने क़रीब होता है कि दोनों को अलग-अलग पहचान पाना मुश्किल हो जाता है। धीरे-धीरे जब उजाला खेलने-खिलने लगता है और अंधेरा उसकी जुम्बिश से परदे की...
Sahir Ludhianvi

ये दुनिया दो-रंगी है

ये दुनिया दो-रंगी है एक तरफ़ से रेशम ओढ़े, एक तरफ़ से नंगी है एक तरफ़ अंधी दौलत की पागल ऐश-परस्ती एक तरफ़ जिस्मों की क़ीमत रोटी...
Narendra Jain

एक काला रंग

एक काला रंग चुनो उसमें जो लाल हरी नीली ऊर्जा है उसे बाहर लाओ उसमें जो लगातार दौड़ रहे हैं घोड़े, स्त्री, पुरुष, बच्चे हँस रहे हैं, उनके संग झुण्ड बनाकर नाचो एक पत्थर...
Abstract Painting of a woman, person from Sushila Takbhore book cover

अपना ये सहज रंग

मैंने कई बार सोचा है ख़्वाहिशों की तरह पल-पल बढ़ा जा सकता है और बलों की तरह उतनी ही आसानी से काटा भी जा सकता है जिसे मैं पहचानती हूँ पहले...
Rag Ranjan

उसने मुझे पीला रंग सिखाया

उसने मुझे पीला रंग सिखाया और मुझे दिखायी दिए जीवन के धूसर रंगों के बीचोबीच रू ब रू दो दहकते हुए पीले सूर्यमुखी एक से दूसरे के...
Ram Manohar Lohia

सुन्दरता और त्वचा का रंग

"सौंदर्यशास्त्र राजनीति से प्रभावित होता है; शक्ति सुंदर दिखाई देती है विशेषकर गैरबराबर शक्ति।"
India Tricolor - Bharat Tiranga

विजयी विश्व तिरंगा प्यारा

विजयी विश्व तिरंगा प्यारा, झण्डा ऊँचा रहे हमारा। सदा शक्ति बरसाने वाला प्रेम सुधा सरसाने वाला वीरों को हर्षाने वाला मातृ-भूमि का तन-मन सारा झण्डा ऊँचा रहे हमारा। स्वतंत्रता के भीषण...
Faiz Ahmad Faiz

गुलों में रंग भरे, बाद-ए-नौ-बहार चले

गुलों में रंग भरे, बाद-ए-नौ-बहार चले चले भी आओ कि गुलशन का कारोबार चले क़फ़स उदास है यारो सबा से कुछ तो कहो कहीं तो बहर-ए-ख़ुदा आज...
Shankaranand

शंकरानंद की कविताएँ

'पदचाप के साथ' कविता संग्रह से बल्ब इतनी बड़ी दुनिया है कि एक कोने में बल्ब जलता है दूसरा कोना अन्धेरे में डूब जाता है, एक हाथ अन्धेरे में हिलता है दूसरा...
Harshita Panchariya

बचाकर रखे हैं कुछ रंग, चींटियों के पंख, पंखों की मज़बूती

बचाकर रखे हैं कुछ रंग बचाकर रखा है होठों का गुलाबी रंग उन वैधव्यता वाले गालों के लिए जिनके पति लिपटे हुए लौटते हैं तिरंगे में बचाकर रखा है बालों...
Vijay Rahi

याद का रंग

'Yaad Ka Rang', a poem by Vijay Rahi "दुष्टता छोड़ो! होली पर तो गाँव आ जाओ!" फ़ोन पर कहा तुम्हारा एक वाक्य मुझे शहर से गाँव खींच...
Human, Abstract

पिकासो के रंग पढ़ते हुए

'Picasso Ke Rang Padhte Hue', a poem by Upma Richa मेरे हाथों में बहती है एक नदी जाल डाले मैं पकड़ता रहता हूँ -दुःख, यातना में डूबा हुआ...
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