Tag: Corruption

Viren Dangwal

हमारा समाज

यह कौन नहीं चाहेगा उसको मिले प्यार यह कौन नहीं चाहेगा भोजन-वस्त्र मिले यह कौन न सोचेगा हो छत सिर के ऊपर बीमार पड़ें तो हो इलाज थोड़ा...
Sarveshwar Dayal Saxena

देशगान

क्या ग़ज़ब का देश है, यह क्या ग़ज़ब का देश है। बिन अदालत औ मुवक्किल के मुक़दमा पेश है। आँख में दरिया है सबके दिल में है...
Gorakh Pandey

अधिनायक वंदना

जन गण मन अधिनायक जय हे! जय हे हरित क्रान्ति निर्माता जय गेहूँ हथियार प्रदाता जय हे भारत भाग्य विधाता अंग्रेज़ी के गायक जय हे! जन गण मन अधिनायक जय...
Madan Daga

कुर्सी-प्रधान देश

पहले लोग सठिया जाते थे अब कुर्सिया जाते हैं! दोस्त मेरे! भारत एक कृषि-प्रधान नहीं कुर्सी-प्रधान देश है! हमारे संसद-भवन के द्वार में कुछ स्प्रिगें ही ऐसी लगी हैं कि समाजवादी...
Sharad Joshi

एक भूतपूर्व मंत्री से मुलाक़ात

मंत्री थे तब उनके दरवाज़े कार बँधी रहती थी। आजकल क्वार्टर में रहते हैं और दरवाज़े भैंस बँधी रहती है। मैं जब उनके यहाँ...
Ramesh Ranjak

परदे के पीछे

परदे के पीछे मत जाना मेरे भाई टुकड़े-टुकड़े कर डालेंगे, बैठे हुए कसाई। बड़े-बड़े अफ़सर बैठे हैं माल धरे तस्कर बैठे हैं बैठे हैं कुबेर के बेटे ऐश लूटते...
Mohan Rakesh

परमात्मा का कुत्ता

"मेरा नाम है बारह सौ छब्बीस बटा सात! मेरे माँ-बाप का दिया हुआ नाम खा लिया कुत्तों ने। अब यही नाम है जो तुम्हारे दफ़्तर का दिया हुआ है। मैं बारह सौ छब्बीस बटा सात हूँ। मेरा और कोई नाम नहीं है। मेरा यह नाम याद कर लो। अपनी डायरी में लिख लो। वाहगुरु का कुत्ता- बारह सौ छब्बीस बटा सात।" "एक तुम्हीं नहीं, यहाँ तुम सबके-सब कुत्ते हो," वह आदमी कहता रहा, "तुम सब भी कुत्ते हो, और मैं भी कुत्ता हूँ। फर्क़ सिर्फ़ इतना है कि तुम लोग सरकार के कुत्ते हो- हम लोगों की हड्डियाँ चूसते हो और सरकार की तरफ़ से भौंकते हो। मैं परमात्मा का कुत्ता हूँ। उसकी दी हुई हवा खाकर जीता हूँ, और उसकी तरफ़ से भौंकता हूँ। "तकरीबन-तकरीबन पूरी हो चुकी है! और मैं खुद ही तकरीबन-तकरीबन पूरा हो चुका हूँ! अब देखना यह है कि पहले कार्रवाई पूरी होती है, कि पहले मैं पूरा होता हूँ! एक तरफ़ सरकार का हुनर है और दूसरी तरफ़ परमात्मा का हुनर है! तुम्हारा तकरीबन-तकरीबन अभी दफ़्तर में ही रहेगा और मेरा तकरीबन-तकरीबन कफ़न में पहुँच जाएगा। सालों ने सारी पढ़ाई ख़र्च करके दो लफ़्ज ईज़ाद किये हैं- शायद और तकरीबन। 'शायद आपके काग़ज़ ऊपर चले गये हैं- तकरीबन-तकरीबन कार्रवाई पूरी हो चुकी है!' शायद से निकालो और तकरीबन में डाल दो! तकरीबन से निकालो और शायद में गर्क़ कर दो। 'तकरीबन तीन-चार महीने में तहक़ीक़ात होगी। ...शायद महीने-दो महीने में रिपोर्ट आएगी।' मैं आज शायद और तकरीबन दोनों घर पर छोड़ आया हूँ। मैं यहाँ बैठा हूँ और यहीं बैठा रहूँगा। मेरा काम होना है, तो आज ही होगा और अभी होगा। तुम्हारे शायद और तकरीबन के गाहक ये सब खड़े हैं। यह ठगी इनसे करो...।"
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