Tag: Crow

Tribe, Village, Adivasi, Labour, Tribal, Poor

गोबिन्द प्रसाद की कविताएँ

आने वाला दृश्य आदमी, पेड़ और कव्वे— यह हमारी सदी का एक पुराना दृश्य रहा है इसमें जो कुछ छूट गया है मसलन पुरानी इमारतें, खण्डहरनुमा बुर्जियाँ और किसी...
Hafeez Jalandhari

कव्वा

आगे पीछे दाएँ बाएँ काएँ काएँ काएँ काएँ सुब्ह-सवेरे नूर के तड़के मुँह धो-धा कर नन्हे लड़के बैठते हैं जब खाना खाने कव्वे लगते हैं मंडलाने तौबा तौबा ढीट हैं...
Crow

मुझे कौवे बहुत पसंद हैं

मुझे कौवे बहुत पसंद हैं एक क़दम पास आते ही उड़ जाते हैं 'कबूतर' यहाँ तक कि कुत्ते भी मुँह बिचकाकर चले जाते हैं थोड़ी दूर पर लेकिन...
Crow

बीती विभावरी जाग री (पैरोडी)

"तू लम्बी ताने सोती है बिटिया 'माँ-माँ' कह रोती है रो-रोकर गिरा दिए उसने आँसू अब तक दो गागरी बीती विभावरी जाग री!" बेढब बनारसी अपनी पैरोडी कविताओं के लिए भी जाने जाते हैं.. पढ़िए जयशंकर प्रसाद की कविता पर लिखी गई उनकी पैरोडी कविता! जयशंकर प्रसाद की कविता का लिंक भी पोस्ट में है!
कॉपी नहीं, शेयर करें! ;)