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गोबिन्द प्रसाद की कविताएँ
आने वाला दृश्य
आदमी, पेड़ और कव्वे—
यह हमारी सदी का एक पुराना दृश्य रहा है
इसमें जो कुछ छूट गया है
मसलन पुरानी इमारतें, खण्डहरनुमा बुर्जियाँ और
किसी...
कव्वा
आगे पीछे दाएँ बाएँ
काएँ काएँ काएँ काएँ
सुब्ह-सवेरे नूर के तड़के
मुँह धो-धा कर नन्हे लड़के
बैठते हैं जब खाना खाने
कव्वे लगते हैं मंडलाने
तौबा तौबा ढीट हैं...
मुझे कौवे बहुत पसंद हैं
मुझे कौवे बहुत पसंद हैं
एक क़दम पास आते ही उड़ जाते हैं 'कबूतर'
यहाँ तक कि कुत्ते भी मुँह बिचकाकर चले जाते हैं थोड़ी दूर पर
लेकिन...
बीती विभावरी जाग री (पैरोडी)
"तू लम्बी ताने सोती है
बिटिया 'माँ-माँ' कह रोती है
रो-रोकर गिरा दिए उसने
आँसू अब तक दो गागरी
बीती विभावरी जाग री!"
बेढब बनारसी अपनी पैरोडी कविताओं के लिए भी जाने जाते हैं.. पढ़िए जयशंकर प्रसाद की कविता पर लिखी गई उनकी पैरोडी कविता!
जयशंकर प्रसाद की कविता का लिंक भी पोस्ट में है!