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तुम्हारे सदाचार की क्षय
व्यभिचार
सद्-आचार अर्थात श्रेष्ठ पुरुषों का आचार। श्रेष्ठ किसे कहते हैं? क्या श्रेष्ठ की कोटि में उस ग़रीब की गिनती हो सकती है जो ईमानदारी...
साम्प्रदायिकता और संस्कृति
प्रेमचंद का लेख 'साम्प्रदायिकता और संस्कृति' | 'Sampradayikta Aur Sanskriti', an article by Premchand
साम्प्रदायिकता सदैव संस्कृति की दुहाई दिया करती है। उसे अपने असली...
कविताएँ: सितम्बर 2020
कुछ कविताएँ
कुछ कविताएँ
जो शायद कभी लिखी नहीं जाएँगी
वे हमेशा झूलती रहेंगी
किसी न किसी दरख़्त की छाँव में,
वे कविताएँ पीड़ाओं के रास्ते से
कभी काग़ज़ तक नहीं...
शरणागत
सिनेमा में जब कभी अंग्रेज़ों से हमारे सांस्कृतिक आदान-प्रदान का विषय सामने आता है तो बहुत बढ़ा-चढ़ाकर उन्हें अपने रंग में ढाल देने की परिस्थितियाँ दिखाई जाती हैं, चाहे 'पूरब और पश्चिम' हो या 'नमस्ते लंडन'! साहित्य में भी यह काम हो चुका है, इस कहानी के माध्यम से आप पढ़ सकते हैं... बस एक-दो उनकी संस्कृति की बातें जो इस कहानी में सामने आयीं और वाजिब थीं, वे भी अपना ली जातीं तो सोने पर सुहागा हो जाता।
विचार
बच्चों की हर गलती
में संस्कार माँ-बाप के बुरे नहीं
होते, एक समय के बाद ये
समाज भी संस्कार प्रदान करने
लगता है...
एक उम्र के बाद बच्चे
जन्म देने...
सभ्यता के वस्त्र चिथड़े हो गए हैं
कुछ अंह का गान गाते रह गए।
कुछ सहमते औ' लजाते रह गए।
सभ्यता के वस्त्र चिथड़े हो गए हैं,
हम प्रतीकों को बचाते रह गए।
वेद मंत्रों...