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‘अन्तस की खुरचन’ से कविताएँ
यतीश कुमार की कविताओं को मैंने पढ़ा। अच्छी रचना से मुझे सार्वजनिकता मिलती है। मैं कुछ और सार्वजनिक हुआ, कुछ और बाहर हुआ, कुछ...
सिल्विया प्लाथ की कविता ‘डैडी’
अब और नहीं
आप नहीं कर सकते, नहीं कर सकते आप
अपने जूते में मुझे पैरों की तरह रखकर
मुझ बेचारी अभागिन को
तीस सालों से
साँस लेने और छींकने...
पेंसिल
1
बेंच पे बैठी
ब्लू जींस वाली लड़की
पेंसिल छीलती है
और उसमें से
फूटता है इक काला फूल
पेंसिल लिखती है
काले-काले अक्षर
कोरे काग़ज़ पर
जैसे काली तितलियाँ!
पेंसिल लिखती है
सफ़ेद अक्षर
आसमान...
समता के लिए
बिटिया कैसे साध लेती है इन आँसुओं को तू
कि वे ठीक तेरे खुले हुए मुँह के भीतर लुढ़क जाते हैं
सड़क पर जाते ऊँट को...
पिता के घर में मैं
पिता क्या मैं तुम्हें याद हूँ?
मुझे तो तुम याद रहते हो
क्योंकि ये हमेशा मुझे याद कराया गया।
फ़ासीवाद मुझे कभी किताब से नहीं समझना पड़ा।
पिता...
अगले जनम मोहे बिटिया ही कीजो
मेरी बिटिया
तुझे भी मैंने जन्मा था उसी दुःख से
कि जिस दुःख से तेरे भाई को जन्मा
तुझे भी मैंने अपने तन से वाबस्ता रखा
उतनी ही मुद्दत...
टेलिपैथी
लकी राजीव की कहानी 'टेलीपैथी' | 'Telepathy', a story by Lucky Rajeev
"बेटा, ये पलाजो क्या होता है?" मैंने मिनी के बालों में तेल लगाते...
कहा मेरी बेटी ने
'ऐसे नहीं होते कवि' कहा मेरी
बेटी ने, ग्यारह साल की—
देखती हूँ, बहुत दिनों से नहीं
पूछा आपने, पौधों के बारे में।
छत पर नहीं गए
देखने तारे।
बारिश...
बेटी की माँ
'Beti Ki Maa', a poem by Poonam Sonchhatra
हम चार बहनें हैं
हाँ हाँ
और एक भाई भी है
सही समझा आपने
भाई सबसे छोटा है
लेकिन हम बहनें सौभाग्यशाली रहीं
क्योंकि...
माँ का दुःख
कितना प्रामाणिक था उसका दुःख
लड़की को दान में देते वक्त
जैसे वही उसकी अन्तिम पूँजी हो
लड़की अभी सयानी नहीं थी
अभी इतनी भोली सरल थी
कि उसे सुख...
जो मार खा रोईं नहीं
तिलक मार्ग थाने के सामने
जो बिजली का एक बड़ा बक्स है
उसके पीछे नाली पर बनी झुग्गी का वाक़या है यह
चालीस के क़रीब उम्र का बाप
सूखी...
मेरा नया बचपन
बार-बार आती है मुझको मधुर याद बचपन तेरी
गया ले गया तू जीवन की सबसे मस्त खुशी मेरी
चिंता-रहित खेलना-खाना वह फिरना निर्भय स्वच्छंद
कैसे भूला जा...