Tag: Déjà vu

देजा वू

यह रात कितनी भरी-भरी सी है, जैसे हो पतझड़ में गिरती उबासी। पास खड़े लैंप पोस्ट पर बैठा एक पपीहा गाता है कोई धुन्दला सा गीत, स्मृतियाँ...
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