Tag: Destroying Dissent
स्त्री-पुरुष समीकरण
'Stri Purush Sameekaran', poems by Anuradha Annanya
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जब पिता पिताओं से नहीं होते
छोड़ देते हैं अपनी शासक छवि
और अपनी बेटियों के साथ खड़े होते हैं
उसी तरह...
गौरव भारती की कविताएँ – IV
Poetry by Gaurav Bharti
क़ैद रूहें
उनका क्या
जो नहीं लौटते हैं घर
कभी-कभार
देह तो लौट भी जाती है
मगर रूहें खटती रहती हैं
मीलों में
खदानों में
बड़े-बड़े निर्माणाधीन मकानों में
इस उम्मीद...