Tag: Devendra Netam
क्यूँ तू ज़िद करे
धूप तले
ख्व़ाब ढूंढें
ऐ दिल-ए-नादाँ
क्यूँ तू जिद करे...
तूने क्या खोया
तूने क्या पाया
धड़कनों की सांसों में
खुद को ही उलझाया...
फिर भी
सूनी गलियों में
ढूँढता रहा
मंजिलों की थकान
जेबें तेरी खाली
ख़्वाहिशें जैसे...
तुम जान जाते
बन्द कमरों में गूँजती
खामोशियों को गर सुन पाते
तो तुम जान जाते
मैं क्या सुनता हूँ।
ख्वाबों की खिड़कियों से
झाँककर, बाहर अगर देख पाते
तो तुम जान जाते
मैं...
तुम भी
ये पहाड़ सदियों से यहीं हैं
जब तुम भी न थीं
शायद, जब कोई भी न था
एक दूसरे को ताकते
कब से मौन खड़े हैं
मैं चाहता हूँ, इन...