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Faiz Ahmad Faiz

कुत्ते

ये गलियों के आवारा बेकार कुत्ते कि बख़्शा गया जिनको ज़ौक़-ए-गदाई ज़माने की फटकार सरमाया इनका जहाँ-भर की दुत्कार इनकी कमाई न आराम शब को, न राहत सवेरे ग़लाज़त...
Ramswaroop Kisan

रामस्वरूप किसान की कविताएँ

कविता संग्रह 'आ बैठ बात करां' से चयन व अनुवाद: राजेन्द्र देथा कितने भोले हैं वे मैं उनके सामने औरों की तरह हाथ बाँधकर नहीं जाता न ही दाँत निकाल पूँछ हिलाता उनके समक्ष उनके...
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