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ज़फ़र गोरखपुरी के दोहे
दोहे: किताब 'मिट्टी को हँसाना है' से
उर्दू से हिन्दी लिप्यन्तरण एवं प्रस्तुति: आमिर विद्यार्थी
तेरे मेरे ख़ून की, क़ीमत कौन लगाए
साहूकार से जो बचे, सड़कों...
गोपालदास नीरज के दोहे
हम तो बस इक पेड़ हैं, खड़े प्रेम के गाँव
ख़ुद तो जलते धूप में, औरों को दें छाँव
आत्मा के सौंदर्य का, शब्द रूप है...