Tag: Earth

Shankaranand

पृथ्वी सोच रही है

ये जो चारों तरफ़ की हवा है भर गई है उन पैरों की धूल से जो इस पृथ्वी पर सबसे अकेले हो गए हैं वे असंख्य लोग हैं जो...
Manjula Bist

संक्रमण-काल

1 आज हर देश का शव नितान्त अकेला है हर देश का जीवित-भय एक है एक है धरती एक है आकाश एक है पानी का रंग एक ही स्वाद है आँसू का एक है...
Earth Woman

पृथ्वी एक चिट्ठी

खुली आँखों से देखे हुए सपने मुझे रात में काटते हैं चिकोटियाँ और गड़ाते हैं दाँत, वे नहीं चाहते कि मैं उन्हें भूलूँ मुझे नहीं पता मैं कब सोयी...
Abstract Painting Black and White

पृथ्वी की नाक और चिट्ठी

'Prithvi Ki Naak Aur Chitthi', a poem by Pratibha Gupta बिस्तर के कोने पर चुपचाप पड़ी देह गर्म हो चली थी, किन्तु आत्मा अब भी ठण्डी थी। कानों में फुसफुसाता...
Prabhat Milind

पृथ्वी पर प्रेम के चुनिंदा दावेदार हैं

'Prithvi Par Prem Ke Chuninda Davedar Hain', a poem by Prabhat Milind 1 मनुष्य को घृणा नहीं, प्रेम मारता है घृणा करते हुए हम चौकन्ने रहते हैं लोग...
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