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‘ठिठुरते लैम्प पोस्ट’ से कविताएँ
अदनान कफ़ील 'दरवेश' का जन्म ग्राम गड़वार, ज़िला बलिया, उत्तर प्रदेश में हुआ। दिल्ली विश्वविद्यालय से कम्प्यूटर साइंस में ग्रेजुएशन करने के बाद उन्होंने...
साँझ होती है ठीक उसी की तरह सुन्दर
अँधेरे को कुचलते हुए
उदय होता है सूर्य,
अँधेरा होता है अस्त
सूरज को कोसते हुए
दोपहर हमारी खिड़कियों से
हमारे भीतर दाख़िल होने की कोशिश में रहती है
धूप...
उसने मुझे पीला रंग सिखाया
उसने मुझे पीला रंग सिखाया
और मुझे दिखायी दिए जीवन के धूसर रंगों के बीचोबीच
रू ब रू दो दहकते हुए पीले सूर्यमुखी
एक से दूसरे के...
एक उदास शाम के नाम
अजीब लोग हैं
हम अहल-ए-एतिबार कितने बदनसीब लोग हैं
जो रात जागने की थी, वो सारी रात
ख़्वाब देख-देखकर गुज़ारते रहे
जो नाम भूलने का था, उस एक...
साथ-साथ, जाड़े की एक शाम
साथ-साथ
हमने साथ-साथ आँखें खोलीं,
देखा बालकनी के उस पार उगते सूरज को,
टहनी पर खिले अकेले गुलाब पर
साथ-साथ ही पानी डाला,
पीली पड़ चुकी पत्तियों को आहिस्ता से किया विलग,
साथ-साथ देखी टीवी पर मिस्टर एण्ड
मिसिज़...
एक प्लेट सैलाब
मई की साँझ!
साढ़े छह बजे हैं। कुछ देर पहले जो धूप चारों ओर फैली पड़ी थी, अब फीकी पड़कर इमारतों की छतों पर सिमट...
शाम
'Shaam', Hindi Kavita by Abhishant
1.
अन्त में उतर जाता है ताप किरणों का
धूप पड़ जाती है नर्म धीरे-धीरे
सूरज भी मुलायम मन से
शाम-रंग का अंगोछा उठाये
चल...
दो नज्में
Poems: Usama Hameed
1
जब जब धूप
पकती है,
पीली पड़ती है
शाम, मायूस
मुँह बिसोरे
चली आती है-
एक उम्र गुज़र जाती है!
2
तुम्हारे जाते ही
मुहब्बत ज़दा सारे ख्वाब
खुदकुश हमलावर की तरह
भक्क...
चुगलखोर शाम
शाम, हर शाम हर चेहरे पर
दिन को डायरी की तरह लिखती है
जिसमें दर्ज होती हैं दिन भर की सारी
नाकामियाँ, परेशानियाँ, हैरानियाँ, नादानियाँ
और हाशिए पर
धकेली...