Tag: Famine

Drought, Femine, Bengal

भूखा बंगाल

पूरब देस में डुग्गी बाजी, फैला सुख का हाल दुख की आगनी कौन बुझाए, सूख गए सब ताल जिन हाथों में मोती रोले, आज वही कंगाल आज...
Kashinath Singh

तीन काल-कथा

अकाल यह वाक़या दुद्धी तहसील के एक परिवार का है। पिछले रोज़ चार दिनों से ग़ायब मर्द पिनपिनाया हुआ घर आता है और दरवाज़े से आवाज़ देता...
Rafiq Azad

भात दे, हरामज़ादे

'Bhaat De Haramzade', a poem by Rafiq Azad बांग्ला से अनुवाद: अमिताभ चक्रवर्ती बहुत भूखा हूँ, पेट के भीतर लगी है आग, शरीर की समस्त क्रियाओं...
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