Tag: Future

Nicanor Parra

निकानोर पार्रा की कविताएँ (दो)

आख़िरी प्याला इस बात को पसन्द करो या मत करो हमारे पास गिनती के तीन विकल्प होते हैं— भूतकाल, वर्तमान और भविष्य और दरअसल तीन भी नहीं क्योंकि दार्शनिक...
Sahej Aziz

क्रांति: दो हज़ार पचानवे

हा हा हा हा हा हा यह भी कैसा साल है मैं ज़िंदा तो हूँ नहीं पर पढ़ रहा है मुझको कोई सोच रहा है कैसे मैंने सोचा है तब...
Sunshine Painting Horizon

एक उमड़ता सैलाब

हममें ही डूबा है वह क्षितिज जहाँ से उदित होता है सबका आकाश फेंकता ऊषाएँ ऋतुएँ, वर्ष, संवत्सर उछालता व्यर्थ है प्रतीक्षा उन अश्वों के टापों की जो दो गहरे लम्बे सन्नाटों के...
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