Tag: Ghazal in Lok Bhasha

Woman from village

जुहार करती हुईं

पहले उसने कहा— भई! मैं कविताएँ सुन-सुनकर बड़ा हुआ हूँ हमारे लड़ दादा कवि थे हमारे पड़ दादा कवि थे हमारे दादा महाकवि थे पिता जी अनेकों पुरस्कारों से नवाज़े...
Heart

चीर चुराने वाला चीर बढ़ावे है

चीर चुराने वाला चीर बढ़ावे है ऐसी लीलाओं से जी घबरावे है जितनी बार बुहारूँ हूँ अपने घर को उतनी ही साँसों में धूल समावे है कैसी बेचैनी...
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