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Gaurav Bharti

भ्रम, सच, भेंट

Poems: Gaurav Bharti भ्रम द्वारका सेक्टर-तीन के तिरंगा चौक ट्रैफ़िक सिग्नल पर अगरबत्तियाँ बेचती बच्चियाँ खटखटाती हैं कार के मोटे ग्लास वाली खिड़की जो कभी नहीं सरकती मैं डीटीसी बस की एक सीट...
Rakhi Singh

उपहार

'Uphaar', a poem by Rakhi Singh संसार के शब्दकोश के सबसे मधुर शब्दों में शामिल है, उपहार मुझे गुलाब देने या लेने से अधिक रुचि गुलाब का पौधा...
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