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Golendra Patel

तुम्हारी संतान सदैव सुखी रहें

लम्बी कविता 'तुम्हारी संतान सदैव सुखी रहें' से सभ्यता और संस्कृति की समन्वित सड़क पर निकल पड़ा हूँ शोध के लिए झाड़ियों से छिल गयी है देह थक...
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