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गोलेन्द्र पटेल की कविताएँँ
ऊख
1
प्रजा को
प्रजातंत्र की मशीन में पेरने से
रस नहीं, रक्त निकलता है साहब
रस तो
हड्डियों को तोड़ने
नसों को निचोड़ने से
प्राप्त होता है!
2
बार-बार, कई बार
बंजर को जोतने-कोड़ने...