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Gopal Prasad Vyas

साँप ही तो हो

साँप, दो-दो जीभें होने पर भी भाषण नहीं देते? आदमी न होकर भी पेट के बल चलते हो यार! हम तुम्हारे फूत्कार से नहीं डरते साँप ही तो हो, भारत के रहनुमा...
Gopal Prasad Vyas

आराम करो

'Aaram Karo', a poem by Gopal Prasad Vyas एक मित्र मिले, बोले, "लाला, तुम किस चक्की का खाते हो? इस डेढ़ छटांक के राशन में भी...
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