Tag: Gopal Singh Nepali
प्रार्थना बनी रहीं
रोटियाँ ग़रीब की, प्रार्थना बनी रहीं!
एक ही तो प्रश्न है रोटियों की पीर का
पर उसे भी आसरा आँसुओं के नीर का
राज है ग़रीब का,...
दिल चुराकर न हमको
दिल चुराकर न हमको बुलाया करो
गुनगुना कर न गम को सुलाया करो,
दो दिलों के मिलन का यहाँ है चलन
खुद न आया करो तो बुलाया...
तू पढ़ती है मेरी पुस्तक
तू पढ़ती है मेरी पुस्तक, मैं तेरा मुखड़ा पढ़ता हूँ
तू चलती है पन्ने-पन्ने, मैं लोचन-लोचन बढ़ता हूँ
मैं खुली क़लम का जादूगर, तू बन्द किताब कहानी...
दूर जाकर न कोई बिसारा करे
दूर जाकर न कोई बिसारा करे,
मन दुबारा-तिबारा पुकारा करे।
यूँ बिछड़कर न रतियाँ गुज़ारा करे,
मन दुबारा-तिबारा पुकारा करे।
मन मिला तो जवानी रसम तोड़ दे,
प्यार निभता...
बहारें आएँगी, होंठों पे फूल खिलेंगे
बहारें आएँगी, होंठों पे फूल खिलेंगे
सितारों को मालूम था, हम दोनों मिलेंगे
सितारों को मालूम था छिटकेगी चाँदनी,
सजेगा साज प्यार का, बजेगी पैंजनी
बसोगे मन में...
दीपक जलता रहा रातभर
तन का दिया, प्राण की बाती,
दीपक जलता रहा रात-भर।
दु:ख की घनी बनी अँधियारी,
सुख के टिमटिम दूर सितारे,
उठती रही पीर की बदली,
मन के पंछी उड़-उड़...
मुसकुराती रही कामना
तुम जलाकर दिये, मुँह छुपाते रहे, जगमगाती रही कल्पना
रात जाती रही, भोर आती रही, मुसकुराती रही कामना
चाँद घूँघट घटा का उठाता रहा
द्वार घर का...
यह दिल खोल तुम्हारा हँसना
'Yah Dil Khol Tumhara Hansna', a poem by Gopal Singh Nepali
प्रिये तुम्हारी इन आँखों में मेरा जीवन बोल रहा है
बोले मधुप फूल की बोली,...