Tag: Gyanendrapati

Kavita Mein Banaras

‘कविता में बनारस’ से कविताएँ

'कविता में बनारस' संग्रह में उन कविताओं को इकट्ठा किया गया है, जो अलग-अलग भाषाओं के कवियों ने अपने-अपने समय के बनारस को देख...
Gyanendrapati

समय और तुम

समय सफ़ेद करता है तुम्हारी एक लट तुम्हारी हथेली में लगी हुई मेंहदी को खींचकर उससे रंगता है तुम्हारे केश समय तुम्हारे सर में भरता है समुद्र—उफ़न उठने वाला अधकपारी का...
Gyanendrapati

तुम्हारे वक्ष-कक्ष में

तुम्हारे वक्ष-कक्ष में जो होतीं सुलह-वार्ताएँ इज़रायल-फ़िलिस्तीन की भारत-पाकिस्तान की इराक़-अमरीका की हठी सरकारों और उग्र पृथकतावादियों की तुम्हारी छाती के अन्दर है जो एक गोल मेज़, उसके चौगिर्द बैठ जो वहाँ...
कॉपी नहीं, शेयर करें! ;)