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‘कविता में बनारस’ से कविताएँ
'कविता में बनारस' संग्रह में उन कविताओं को इकट्ठा किया गया है, जो अलग-अलग भाषाओं के कवियों ने अपने-अपने समय के बनारस को देख...
समय और तुम
समय सफ़ेद करता है
तुम्हारी एक लट
तुम्हारी हथेली में लगी हुई मेंहदी को
खींचकर
उससे रंगता है तुम्हारे केश
समय तुम्हारे सर में
भरता है
समुद्र—उफ़न उठने वाला अधकपारी का...
तुम्हारे वक्ष-कक्ष में
तुम्हारे वक्ष-कक्ष में
जो होतीं सुलह-वार्ताएँ
इज़रायल-फ़िलिस्तीन की
भारत-पाकिस्तान की
इराक़-अमरीका की
हठी सरकारों और उग्र पृथकतावादियों की
तुम्हारी छाती के अन्दर
है जो एक गोल मेज़, उसके चौगिर्द बैठ
जो वहाँ...