Tag: Habib Jalib

Habib Jalib

अपनी जंग रहेगी

जब तक चंद लुटेरे इस धरती को घेरे हैं अपनी जंग रहेगी अहल-ए-हवस ने जब तक अपने दाम बिखेरे हैं अपनी जंग रहेगी मग़रिब के चेहरे पर यारो...
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उट्ठो, मरने का हक़ इस्तेमाल करो

जीने का हक़ सामराज ने छीन लिया उट्ठो, मरने का हक़ इस्तेमाल करो! ज़िल्लत के जीने से मरना बेहतर है मिट जाओ या क़स्र-ए-सितम पामाल करो! सामराज के...
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बगिया लहूलुहान

हरियाली को आँखें तरसें, बगिया लहूलुहान! प्यार के गीत सुनाऊँ किस को शहर हुए वीरान! बगिया लहूलुहान! डसती हैं सूरज की किरनें, चाँद जलाए जान पग-पग मौत के...
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माँ

बच्चों पे चली गोली माँ देख के ये बोली— ये दिल के मेरे टुकड़े यूँ रोएँ मेरे होते मैं दूर खड़ी देखूँ ये मुझसे नहीं होगा मैं दूर खड़ी देखूँ और अहल-ए-सितम खेलें ख़ूँ...
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दस्तूर

दीप जिस का महल्लात ही में जले चंद लोगों की ख़ुशियों को ले कर चले वो जो साए में हर मस्लहत के पले ऐसे दस्तूर को सुब्ह-ए-बे-नूर...
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