Tag: Hari Ram Meena
बिरसा मुंडा की याद में
'लोकप्रिय आदिवासी कविताएँ' से
अभी-अभी
सुन्न हुई उसकी देह से
बिजली की लपलपाती कौंध निकली
जेल की दीवार लाँघती
तीर की तरह जंगलों में पहुँची
एक-एक दरख़्त, बेल, झुरमुट
पहाड़, नदी,...
आदिवासी लड़की
'लोकप्रिय आदिवासी कविताएँ' से
आदिवासी युवती पर
वो तुम्हारी चर्चित कविता
क्या ख़ूबसूरत पंक्तियाँ—
'गोल-गोल गाल
उन्नत उरोज
गहरी नाभि
पुष्ट जंघाएँ
मदमाता यौवन...'
यह भी तो कि—
'नायिका कविता की
स्वयं में सम्पूर्ण कविता
ज्यों
हुआ...