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Harshita Panchariya

सीखना चाहती हूँ

कितना कुछ सीख सकती थी मैं तुम्हारी पूर्व प्रेमिकाओं से... तुम्हारी पहली प्रेमिका 'मातृभाषा' थी तुमने उसे जब-जब पुकारा जब-जब तुम्हें मिली पीड़ा इस बात को जानते हुए कि हर...
Leaf painting on Woman's Back, Sad, Depression, Hopeless

अवसाद

अवसाद के लिए दुनिया में कितनी जगह थी पर उसने चुनी मेरे भीतर की रिक्तता मेरे भीतर के दृश्य को देखने वाला कोई नहीं था आख़िर नीले आसमान...
Hand touching water

अभिलाषा, पहचान, युद्ध

Poems: Harshita Panchariya अभिलाषा माँगो तो मनोकामनाओं के अंतिम अध्याय में अपूर्ण रहने का वर माँग लेना क्योंकि अनेक सम्भावनाओं का ठौर इतना सहज कहाँ? पहचान पहचानी जाऊँगी तो संसार की उस मूर्ख स्त्री...

मेरा ईश्वर छली नहीं है

पता नहीं कितने तरीके ईजाद किए हैं मनुष्य ने तुम्हें समृद्ध बनाने के लिए। हर कोस पर तुम्हारा स्वरूप बदला है पानी के साथ पर स्मरण रहे तुम्हारे ईश्वर ने तुम्हारी आत्मा को उतना...

बाज़ारू होती भाषा

सभ्यता के गर्भ को सुरक्षित रखने के लिए यदि एक क़लम का नंगा होना आवश्यक है तो, उतना ही आवश्यक है भाषा को मर्यादित रखना... क्योंकि, बाज़ारू होती भाषा के, घुँघरुओं की...

भीड़

जब मुझे पता नहीं होता कि मेरी मंज़िल क्या है तो मैं एक भीड़ का, हिस्सा हो जाती हूँ। भीड़ भी हिस्सा होती है उसी सभ्य समाज का जहाँ आरक्षण...

कारण

जिस नदी ने वर्षपर्यन्त मुझे मीठे जल से सींचा मैंने जाकर नहीं पूछा उसके सूखने का कारण। जिस वृक्ष ने वर्षपर्यन्त मुझे मीठे फलों से आनन्दित किया मैंने जाकर नहीं पूछा उसके...

रहना चाहती हूँ

शाश्वतता को तलाशते हुए जब मृत्यु के समक्ष स्थिरता को पाओगे तो पूछना अब कितनी नश्वरता शेष है जीवन की अस्थिरता में शेष रहेगा तो बहा हुआ शोणित और लवण...
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