Tag: Haruki Murakami stories in hindi
आईना
"आईने में दिख रहा मेरा प्रतिबिंब दरअसल मैं नहीं था। बाहर से वह बिलकुल मेरी तरह लग रहा था, लेकिन यकीनन वह मैं नहीं था। नहीं, यह बात नहीं थी। वह 'मैं' तो था लेकिन कोई 'दूसरा' ही मैं था। कोई दूसरा मैं, जिसे नहीं होना चाहिए था। मुझे नहीं पता, मैं इसे आपको कैसे समझाऊँ। मुझे उस समय कैसा महसूस हो रहा था, यह बयान कर पाना कठिन है।
आखिर उसका हाथ हिला। उसके दाएँ हाथ की उँगलियों ने उसकी ठोड़ी को छुआ, और फिर एक कीड़े की तरह धीरे-धीरे वे उँगलियाँ उसके चेहरे की ओर बढ़ीं। अचानक मैंने महसूस किया कि मेरी उँगलियाँ भी ठीक वैसी ही हरकतें कर रही थीं। गोया मैं आईने में बैठे व्यक्ति का प्रतिबिंब था और वह मेरी हरकतों पर कब्जा करने की कोशिश कर रहा था।"
अप्रैल की एक खूबसूरत सुबह बिल्कुल सही लड़की को देखने के बाद
"हम अपनी-अपनी परीक्षा लेते हैं - सिर्फ एक बार। अगर हम वास्तव में एक-दूसरे के बिल्कुल सच्चे प्रेमी हैं, तो एक बार फिर से, कहीं न कहीं, जरूर मिलेंगे। और जब ऐसा होगा, और हमें यकीन हो जाएगा कि हम बिल्कुल सही प्रेमी हैं, तो हम तभी के तभी शादी कर लेंगे। तुम क्या सोचती हो?"
"हाँ", उसने कहा, "हमें वास्तव में यही करना चाहिए।"