Tag: hindi kahani
तिरिछ
इस घटना का संबंध पिताजी से है। मेरे सपने से है और शहर से भी है। शहर के प्रति जो एक जन्म-जात भय होता...
पिता
बूढ़े पिता अपना ज़िन्दगी जीने का ढंग नहीं छोड़ते। नई चीज़ें पसंद नहीं आती और पुराने से लगाव नहीं छूटता, चाहे कितनी भी असुविधा हो! नई और पुरानी पीढ़ी के इसी खिंचाव को रेखांकित करती है ज्ञानरंजन की कहानी 'पिता'। पढ़िए। :)
पाजेब
जैनेन्द्र कुमार की यह कहानी एक छोटी सी घटना के ज़रिए बच्चों के मनोविज्ञान और भावनाओं से भी परिचित करवाती है और इसके प्रति बड़े लोगों की अज्ञानता और अनदेखी से भी... पढ़िए हिन्दी की एक उत्कृष्ट कहानी 'पाजेब'!
रोज (गैंग्रीन)
अखबार के एक टुकड़े को पढ़ने और घड़ी में कितना बज गया है यह दोहराने जैसी मामूली चीजों के पीछे का मनोविज्ञान क्या-क्या अर्थ रख सकता है, यह अज्ञेय अपनी कहानी 'रोज़' में दिखाते हैं। बेहद सपाट कथानक किन्तु मनोचित्त की बेहद उलझी हुई गुत्थियाँ। ज़रूर पढ़िए! :)
बहादुर
'बहादुर'। हमारे घरों में काम करने वाले दूर देशों से आए 'बहादुरों' की कहानी। किसी के काम से उस इंसान को तौलने की और उसी के आधार पर उसके साथ व्यवहार करने की हमारी आदतों को झेलना भी कम बहादुरी की बात तो नहीं! या है? पढ़िए..! :)
खून का रिश्ता
खाट की पाटी पर बैठा चाचा मंगलसेन हाथ में चिलम थामे सपने देख रहा था। उसने देखा कि वह समधियों के घर बैठा है...
कर्मनाशा की हार
काले सांप का काटा आदमी बच सकता है, हलाहल ज़हर पीने वाले की मौत रुक सकती है, किंतु जिस पौधे को एक बार कर्मनाशा...
पत्नी का पत्र
एक दौर जिसमें लोग अभी औरतों को बराबर समझने के बारे में केवल सोच ही रहे थे, एक पत्नी का यह पत्र अन्दर तक झकझोर देता है। भारतीय औरत क्या-क्या देखकर आयी है, उसकी एक उदास झलक और टैगोर की स्त्री-सम्बंधित सोच जानने का एक माध्यम!
एक प्रेम कहानी
"मुझसे सम्बंधित आम लोगों को यह शिकायत है कि मैं प्रेम कहानी नहीं लिखता। मेरे अफ़सानों में चूंकि इश्क़ो-मुहब्बत की चाशनी नहीं होती इसलिए वो बिलकुल सपाट होते हैं। मैं अब यह प्रेम कहानी लिख रहा हूँ ताकि लोगों की यह शिकायत किसी हद तक दूर हो जाए।"
क्योंकि, मंटो ने 'एक प्रेम कहानी' भी लिखी है। :)
ईदगाह
'ईदगाह' - प्रेमचंद
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रमजान के पूरे तीस रोजों के बाद ईद आयी है। कितना मनोहर, कितना सुहावना प्रभाव है। वृक्षों पर अजीब हरियाली है, खेतों...
पंचलाइट (पंचलैट)
"मुनरी की माँ ने पंचायत से फरियाद की थी कि गोधन रोज उसकी बेटी को देखकर 'सलम-सलम' वाला सलीमा का गीत गाता है- 'हम तुमसे मोहोब्बत करके सलम!' पंचों की निगाह पर गोधन बहुत दिन से चढ़ा हुआ था। दूसरे गाँव से आकर बसा है गोधन, और अब टोले के पंचों को पान-सुपारी खाने के लिए भी कुछ नहीं दिया। परवाह ही नहीं करता है। बस, पंचों को मौका मिला। दस रुपया जुरमाना! न देने से हुक्का-पानी बन्द। आज तक गोधन पंचायत से बाहर है।"