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Gulzar

अलाव

रात-भर सर्द हवा चलती रही रात-भर हम ने अलाव तापा मैंने माज़ी से कई ख़ुश्क सी शाख़ें काटीं तुमने भी गुज़रे हुए लम्हों के पत्ते तोड़े मैंने जेबों...
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