Tag: Hindi poetry

Subhadra Kumari Chauhan

व्याकुल चाह

सोया था संयोग उसे किस लिए जगाने आए हो? क्या मेरे अधीर यौवन की प्यास बुझाने आए हो? रहने दो, रहने दो, फिर से जाग उठेगा वह अनुराग, बूँद-बूँद से...
Hariaudh

एक बूँद

ज्यों निकल कर बादलों की गोद से थी अभी एक बूँद कुछ आगे बढ़ी सोचने फिर-फिर यही जी में लगी, आह! क्यों घर छोड़कर मैं यों बढ़ी? देव...
Jyoti Shobha

ज्योति शोभा की कविताएँ

आमंत्रण की कला दस्तक का आधा रस किवाड़ सोख लेता है शेष आधा टपक जाता है पककर इस ऋतु ऊपर के ताखे में संकोच रखकर सोती है देह अलमारियों...
Mudit Shrivastava

पाँच कविताएँ

ख्यालों को बहने दो ख्यालों को बहने दो, बनके नदिया, किसी प्यासे तक पहुंचेंगे उड़ने दो, बनके चिड़िया आसमानों में किसी सुनसान कानों में जा के चहकेंगे.. गाँव को देखा हमने तुमने गाँव को...
Gaurav Adeeb

गौरव अदीब की नयी कविताएँ

गौरव अदीब की कुछ नयी कविताएँ 1) टाइम मशीन कविता के लिए: कई बार तुम्हारी ओर से मैंने ख़ुद को लिखा पत्र लिखीं कुछ कवितायेँ भी तुम्हारी कहानी ख़ुद...
vishesh chandra 'naman'

विशेष चंद्र ‘नमन’ की कविताएँ

मौजूदगी एक बेशकीमती दिन बचा रहता है कल के आने तक हम बांसुरी में इंतज़ार के पंख लपेट हवा को बुलाने से ज़्यादा, कुछ नहीं करते एक अनसुनी...
balkavi bairagi

बालकवि बैरागी की बाल कविताएँ

Poems: Balkavi Bairagi चाँद में धब्बा गोरे-गोरे चाँद में धब्बा दिखता है जो काला-काला, उस धब्बे का मतलब हमने बड़े मज़े से खोज निकाला। वहाँ नहीं है गुड़िया-बुढ़िया वहाँ नहीं बैठी है...
Joshnaa Banerjee Adwanii

जोशना बैनर्जी आडवानी की कविताएँ

बू मैंने एक जगह रुक के डेरा डाला मैंने चाँद सितारों को देखा मैंने जगह बदल दी मैंने दिशाओं को जाना मैं अब ख़ानाबदोश हूँ मैं नख़लिस्तानों के ठिकाने जानती...
Woman with tied child, Mother, Kid

‘माँ’ के लिए कुछ कविताएँ

'माँ' - मोहनजीत मैं उस मिट्टी में से उगा हूँ जिसमें से माँ लोकगीत चुनती थी हर नज्म लिखने के बाद सोचता हूँ- क्या लिखा है? माँ कहाँ इस...
Uday Prakash

उत्कृष्टता

'Utkrishtta', a poem by Uday Prakash सुन्दर और उत्कृष्ट कविताएँ धीरे-धीरे ले जाएँगी सत्ता की ओर सूक्ष्म सम्वेदनाओं और ख़फ़ीफ़ भाषा का कवि देखा जाएगा अत्याचारियों के भोज...
Ashok Vajpeyi

अकेले क्यों?

हम उस यात्रा में अकेले क्यों रह जाएँगे? साथ क्यों नहीं आएगा हमारा बचपन, उसकी आकाश-चढ़ती पतंगें और लकड़ी के छोटे-से टुकड़े को हथियार बना कर दिग्विजय करने का...
Tree, Leaves, Forest, Jungle

पत्ते नीम के

तालियों से बजे पत्ते नीम के। अनवरत चलती रही थी, थक गयी, तनिक आवे पर ठहरकर पक गयी, अब चढ़ी है हवा हत्थे नीम के। था बहुत कड़वा मगर था...
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