Tag: Hindi poetry

Sudeep Banerjee

वह दीवाल के पीछे खड़ी है

वह दीवाल के पीछे खड़ी है दीवाल का वह तरफ़ उसके कमरे में है जिस पर कुछ लिखा है कोयले से कोयले से की गयी हैं चित्रकारियाँ वन-उपवन, पशु-पक्षी,...
Indu Jain

कोशिश

एक चीख़ लिखनी थी एक बच्चे की चीख़ अरबी में, तुर्की में यिद्दिश में, यैंकीस्तानी में असमिया, हिन्दी, गुरमुखी में चिथड़े उड़े बाप और ऐंठी पड़ी माँ के बीच उठी बच्चे की चीख़—सिर्फ़...
Balraj Sahni

बलराज साहनी की कविताएँ

बलराज साहनी एक अभिनेता के रूप में ही ज्यादा जाने जाते हैं, जबकि उन्होंने एक साहित्यकार के रूप में भी काफी कार्य किया है।...
People, Society, Faces

समाज

कल एक प्राणी से मुलाक़ात हुई जब मैंने उससे उसका नाम पूछा तो उसने कहा- 'समाज' प्राणी इसलिए कहा क्योंकि उसकी शक्ल और हरकतें मानवों से तो नहीं मिलती...
Speaking, Speech, Helpless, Shouting, Screaming, Depressed

झूठ बोलिए, सच बोलिए, खचाखच बोलिए

बोलिए बोलना ज़रूरी है सुनना, पढ़ना, समझना मूर्खों के लिए छोड़ दीजिए सत्ता की शय से बोलिए चढ़ गयी मय से बोलिए 'फ्रीडम ऑफ स्पीच' के लिए बोलिए 'अधिकतम आउटरीच'...
Naveen Sagar

हम बचेंगे अगर (चाहिए)

एक बच्ची अपनी गुदगुदी हथेली देखती है और धरती पर मारती है। लार और हँसी से सना उसका चेहरा अभी इतना मुलायम है कि पूरी धरती अपने थूक के फुग्गे में उतारी...
Little Girl

अंकल, आई एम तिलोत्तमा!

'पहचान और परवरिश' कौन है ये? मेरी बिटिया है, इनकी भतीजी है, मट्टू की बहन है, वी पी साहब की वाइफ हैं, शर्मा जी की बहू है। अपने बारे में भी...
poem - k l saigal

परदेस में रहने वाले आ

यह बात बहुत कम लोग जानते हैं कि के. एल. सहगल एक कवि/शायर भी थे और निजी महफिलों में वे अपनी कविताएँ/छंद सुनाया भी...
Mangalesh Dabral

गर्मियों की शुरुआत

पास के पेड़ एकदम ठूँठ हैं वे हमेशा रहते आए हैं बिना पत्तों के हरे पेड़ काफी दूर दिखाई देते हैं जिनकी जड़ें हैं, जिनकी परछाईं हैं उन्हीं...
Kedarnath Agarwal

केदारनाथ अग्रवाल के कविता संग्रह ‘अपूर्वा’ से कविताएँ

केदारनाथ अग्रवाल के कविता संग्रह 'अपूर्वा' में उनकी 1968 से 1982 तक की कविताओं का संकलन है। इस कविता संग्रह को इसके प्रकाशित वर्ष...
Woman

तुम दिन भर करती क्या हो!

हमारे समाज में सदियों से एक स्त्री को लेकर आम जन की अवधारणाएं और अपेक्षाएं एक कुंठित सोच से घिरी रही हैं। पुरुष वर्ग...

‘क्योंकि मैं उसे जानता हूँ’ से कविताएँ

वेध्य पहले मैं तुम्हें बताऊँगा अपनी देह का प्रत्येक मर्मस्थल फिर मैं अपने दहन की आग पर तपा कर तैयार करूँगा एक धारदार चमकीली कटार जो मैं तुम्हें दूँगा फिर...
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