Tag: Hindi poetry
वह दीवाल के पीछे खड़ी है
वह दीवाल के पीछे खड़ी है
दीवाल का वह तरफ़ उसके कमरे में है
जिस पर कुछ लिखा है
कोयले से
कोयले से की गयी हैं चित्रकारियाँ
वन-उपवन, पशु-पक्षी,...
कोशिश
एक चीख़ लिखनी थी
एक बच्चे की चीख़
अरबी में, तुर्की में
यिद्दिश में, यैंकीस्तानी में
असमिया, हिन्दी, गुरमुखी में
चिथड़े उड़े बाप और
ऐंठी पड़ी माँ
के बीच उठी
बच्चे की चीख़—सिर्फ़...
बलराज साहनी की कविताएँ
बलराज साहनी एक अभिनेता के रूप में ही ज्यादा जाने जाते हैं, जबकि उन्होंने एक साहित्यकार के रूप में भी काफी कार्य किया है।...
समाज
कल एक प्राणी से मुलाक़ात हुई
जब मैंने उससे उसका नाम पूछा
तो उसने कहा- 'समाज'
प्राणी इसलिए कहा
क्योंकि उसकी शक्ल और हरकतें
मानवों से तो नहीं मिलती...
झूठ बोलिए, सच बोलिए, खचाखच बोलिए
बोलिए
बोलना ज़रूरी है
सुनना, पढ़ना, समझना मूर्खों के लिए छोड़ दीजिए
सत्ता की शय से बोलिए
चढ़ गयी मय से बोलिए
'फ्रीडम ऑफ स्पीच' के लिए बोलिए
'अधिकतम आउटरीच'...
हम बचेंगे अगर (चाहिए)
एक बच्ची
अपनी गुदगुदी हथेली
देखती है
और धरती पर मारती है।
लार और हँसी से सना
उसका चेहरा अभी
इतना मुलायम है
कि पूरी धरती
अपने थूक के फुग्गे में उतारी...
अंकल, आई एम तिलोत्तमा!
'पहचान और परवरिश'
कौन है ये?
मेरी बिटिया है,
इनकी भतीजी है,
मट्टू की बहन है,
वी पी साहब की वाइफ हैं,
शर्मा जी की बहू है।
अपने बारे में भी...
परदेस में रहने वाले आ
यह बात बहुत कम लोग जानते हैं कि के. एल. सहगल एक कवि/शायर भी थे और निजी महफिलों में वे अपनी कविताएँ/छंद सुनाया भी...
गर्मियों की शुरुआत
पास के पेड़ एकदम ठूँठ हैं
वे हमेशा रहते आए हैं बिना पत्तों के
हरे पेड़ काफी दूर दिखाई देते हैं
जिनकी जड़ें हैं, जिनकी परछाईं हैं
उन्हीं...
केदारनाथ अग्रवाल के कविता संग्रह ‘अपूर्वा’ से कविताएँ
केदारनाथ अग्रवाल के कविता संग्रह 'अपूर्वा' में उनकी 1968 से 1982 तक की कविताओं का संकलन है। इस कविता संग्रह को इसके प्रकाशित वर्ष...
तुम दिन भर करती क्या हो!
हमारे समाज में सदियों से एक स्त्री को लेकर आम जन की अवधारणाएं और अपेक्षाएं एक कुंठित सोच से घिरी रही हैं। पुरुष वर्ग...
‘क्योंकि मैं उसे जानता हूँ’ से कविताएँ
वेध्य
पहले
मैं तुम्हें बताऊँगा अपनी देह का प्रत्येक मर्मस्थल
फिर मैं अपने दहन की आग पर तपा कर
तैयार करूँगा एक धारदार चमकीली कटार
जो मैं तुम्हें दूँगा
फिर...