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Hand, Gone, Left, Calling, Away

सुमित मदान की कविताएँ

Poems: Sumit Madan ठोकरें मैं ठोकरें खाता हुआ बढ़ रहा था कि कुछ हाथ मुझे सहारा देने आगे आए। मैं सम्भल गया। उसके बाद, ना मैंने ठोकरें खायीं, ना ही मैं आगे बढ़ पाया। मैं...
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