Tag: Humorous Poem in Hindi
चल दी जी, चल दी
स्त्रियाँ कितनी भी बीमार हो या उनका मन न हो, घर के पुरुषों के कामों के लिए वे हमेशा तत्पर रहती हैं.. ऐसा होना चाहिए या नहीं यह अलग बात है लेकिन ऐसा होता आया है.. यही बात इतनी सरल, मज़ेदार और प्रभावी ढंग से अशोक चक्रधर ने इस कविता में कही है! इस कविता को देखने का एक नजरिया यह भी हो सकता है कि प्रेम स्वार्थ से हमें कितना दूर ले जाता है! ज़रूर पढ़िए! :)