Tag: Indifference

Bulb, Light, Circle

कल रात

देखता था स्वप्न जिसको सिरहाने सजाकर ढाप लेता था जिसे चादर बनाकर हर जो लेती थी थकावट मास भर की बन जो जाती थी नियति उस पहर...
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