Tag: Indira Gandhi
शुरू का रहन-सहन
अनुवाद: प्रेमचंद
सरग़नाओं और राजाओं की चर्चा हम काफ़ी कर चुके। अब हम उस ज़माने के रहन-सहन और आदमियों का कुछ हाल लिखेंगे।
हमें उस पुराने...
सरग़ना राजा हो गया
‘पिता के पत्र पुत्री के नाम’ से – जवाहरलाल नेहरू के ख़त, इंदिरा गाँधी को
अनुवाद: प्रेमचंद
बूढ़े सरग़ना ने हमारा बहुत-सा वक़्त ले लिया। लेकिन हम उससे...
सरग़ना का इख़्तियार कैसे बढ़ा
'पिता के पत्र पुत्री के नाम' से - जवाहरलाल नेहरू के ख़त, इंदिरा गाँधी को
अनुवाद: प्रेमचंद
मुझे उम्मीद है कि पुरानी जातियों और उनके बुज़ुर्गों...
ख़ानदान का सरग़ना कैसे बना
अनुवाद: प्रेमचंद
मुझे भय है कि मेरे ख़त कुछ पेचीदा होते जा रहे हैं। लेकिन अब ज़िन्दगी भी तो पेचीदा हो गई है। पुराने ज़माने...
खेती से पैदा हुई तब्दीलियाँ
अनुवाद: प्रेमचंद
अपने पिछले ख़त में मैंने कामों के अलग-अलग किए जाने का कुछ हाल बतलाया था। बिल्कुल शुरू में जब आदमी सिर्फ़ शिकार पर...