Tag: Inequality

Pallavi Pratibha

एक को कहते सुना

एक को कहते सुना— हम तो हैं ब्राह्मण हमें है मालूम कहाँ, किधर, किस दिशा में हैं देखते भगवन हमारी ही है ठेकेदारी हमारे ही हैं देवता और हमारी ही देवनारी। एक...
Kumar Ambuj

अमीरी रेखा

मनुष्य होने की परम्परा है कि वह किसी कंधे पर सिर रख देता है और अपनी पीठ पर टिकने देता है कोई दूसरी पीठ ऐसा होता...
Vinod Kumar Shukla

अपने हिस्से में लोग आकाश देखते हैं

यह कविता यहाँ सुनें: https://youtu.be/pUtSK1ATCx4 अपने हिस्से में लोग आकाश देखते हैं और पूरा आकाश देखे लेते हैं। सबके हिस्से का आकाश पूरा आकाश है। अपने हिस्से का चन्द्रमा देखते...
Yogesh Dhyani

कविताएँ: दिसम्बर 2020

स्वाद शहर की इन अंधेरी झोपड़ियों में पसरा हुआ है मनो उदासियों का फीकापन दूसरी तरफ़ रंगीन रोशनियों से सराबोर महलनुमा घरों में उबकाइयाँ हैं ख़ुशियों के अतिरिक्त मीठेपन से धरती घूमती तो है मथनी की तरह...
Joseph Macwan

रोटले को नज़र लग गई

सुबह के कामों से फ़ारिग होते ही उसका पहला काम होता रोटला बनाना। वह हर रोज़ गिनकर चार रोटला बनाती; बाजरी के आटे में...
Leaves, Leaf, Difference, Different but same

रगों में दौड़ती असमानता

सभी इंसान एक जैसे होते हैं, सभी के रगों में ख़ून दौड़ता है, मेरी इस गलतफ़हमी का दम घोंट दिया तुम्हारे बाएँ हाथ की मसरूफ़ियत के बीच तुम्हारे...
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