Tag: Insensitivity
शुभम नेगी की कविताएँ
अख़बार
दरवाज़ा खोलने से पहले ही
रेंगकर घुसती है अंदर
सुराख़ में से
बाहर दुबके अख़बार पर बिछी
ख़ून की बू
अख़बार वाला छोड़ जाता है आजकल
मेरे दरवाज़े पर
साढ़े चार रुपये...
कौन है
'Kaun Hai', a poem by Mahesh Anagh
कौन है? सम्वेदना!
कह दो अभी घर में नहीं हूँ।
कारख़ाने में बदन है
और मन बाज़ार में,
साथ चलती ही नहीं
अनुभूतियाँ...
हम उस दौर में जी रहे हैं
हम उस दौर में जी रहे हैं जहाँ
फेमिनिज्म शब्द ने एक गाली का रूप ले लिया है
और धार्मिक उदघोष नारे बन चुके हैं
जहाँ हत्या,...