Tag: Ishwar Nahi Neend Chahiye
अबकी मुझे चादर बनाना
माँ ढक देती देह
जेठ की तपती रात भी
'लड़कियों को ओढ़ कर सोना चाहिए'
सेहरा बाँधे पतली मूँछवाला मर्द
मुड़कर आँख तरेरता
राहें धुँधला जाती पचिया चादर के...
सद्दाम हुसैन हमारी आखिरी उम्मीद था
लिखित लिख रहे थे
प्रयोग बनते जा रहे थे
अंकों और श्रेणियों में ढल रहे थे
रोजगार बस मिलने ही वाले थे
कि हम प्रेम हार गए
अब सद्दाम...
ईश्वर नहीं नींद चाहिए
औरतों को ईश्वर नहीं
आशिक नहीं
रूखे फीके लोग चाहिए आस पास
जो लेटते ही बत्ती बुझा दें अनायास
चादर ओढ़ लें सर तक
नाक बजाने लगें तुरंत
नजदीक मत...
क्या सोचती होगी धरती
मैंने कबूतरों से सब कुछ छीन लिया
उनका जंगल
उनके पेड़
उनके घोंसले
उनके वंशज
यह आसमान जहाँ खड़ी होकर
आँजती हूँ आँख
टाँकती हूँ आकाश कुसुम बालों में
तोलती हूँ अपने...
लिखने से क्या होगा
मुझे लगता था कि
चिड़ियों के बारे में पढ़कर क्या होगा
उन्हें बनाए रखने के लिए
मारना बन्द कर देना चाहिए
कारख़ानों में चिमनियाँ
पटाखों में बारूद
बन्दूक़ में नली
या कम से कम
इंसान के...